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मकान मालकिन और उसकी तीन बेटियाँ- 3

时间:2010-12-5 17:23:32  作者:राघव चड्ढा   来源:टाटा आईपीएल प्वाइंट टेबल  查看:  评论:0
内容摘要:प्रेषक/प्रेषिका : रानी साहिबारात का खाना खाने के बाद रोज की तरह मैं कंप्यूटर पर अपना काम कर रहा था क

प्रेषक/प्रेषिका : रानी साहिबारात का खाना खाने के बाद रोज की तरह मैं कंप्यूटर पर अपना काम कर रहा था कि मेरे मोबाइल पर मिस्ड कॉल आई,मकानमालकिनऔरउसकीतीनबेटियाँ देखा तो कमलिनी की थी।मैंने काल-बैक किया तो पूछने लगी- क्या कर रहे हैं?मैंने झूठ बोल दिया- सिर में बहुत दर्द है, मैं सोने जा रहा हूँ।मैंने झूठ इसलिए बोला था क्यूंकि आज मैं कमलिनी की चूत मारने की अपेक्षा उसकी माँ रागिनी की गांड मारना चाहता था, मुझे पूरा विश्वास था कि वो रात को गांड मराने जरूर आएगी। और वही हुआ भी, कमलिनी के फ़ोन के आधे घंटे बाद मेरे मोबाइल की घंटी फिर बजी, मैंने उठाया तो रागिनी भाभी बोलीं- क्या कर रहे हो देवर जी?मैंने कहा- मेरे सिर में बहुत दर्द है, क्या करुँ ?भाभी बोलीं- मैं आकर सिर दबा दूं ?मैंने कहा- भाभी आप अगर छू लेंगी तो दर्द अपने आप ठीक हो जाएगा, आप तुंरत आयें, मैंने दरवाजा खोल दिया है।दो ही मिनट बाद भाभी मेरे सामने आ पहुंचीं, उनका रूप देखकर मेरा लंड तन्नाने लगा और उनकी गांड फाड़ने के बारे में सोचने लगा। भाभी ने मेरे माथे पर हाथ रखा और बोलीं- गर्म तो नहीं है।मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने तन्नाये हुए लंड पर रखते हुए कहा- यह तो गर्म है ?शरमाते हुए बोलीं- बहुत शरारती हो।मैंने पूछा- मुझसे कह रही हैं या मेरे लंड से ?कहने लगीं- दोनों से।इतना सुनते ही मैंने उनको अपनी बाहों में लिया और दीवान पर लिटा दिया। मैंने अपनी टीशर्ट उतारी, लोअर उतारा और क्रीम की शीशी खोलकर ढेर सा क्रीम अपने लंड पर लगा दिया। भाभी का गाउन उतारा, उनको घोड़ी बनाया और अपना लंड उनकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर तक गांड के छेद पर लंड रगड़ने से भाभी आनंदित होने लगीं तो मैंने पूछा- भाभी डालूँ ?तो बोलीं- हाँ मेरे देवर राजा।गांड के छेद पर अपने तन्नाये हुए लंड का सुपाड़ा रखकर मैं धीरे धीरे अंदर करने लगा, भाभी की गांड बहुत टाइट थी। मैंने जोर से दबाया तो लंड का सुपाड़ा गांड के अंदर हो गया, भाभी कराहते हुए बोलीं- बस करो राजा, फट गई।मैंने उनके चूतड़ों को सहलाते हुए कहा- भाभी आप वाकई बहुत हिम्मत वाली हैं, आपने पूरा लंड अपनी गांड में ले लिया।अब तक सिर्फ लंड का सुपाडा ही भाभी की गांड के अन्दर था और बाकी का लंड भाभी की गांड के अंदर जाने के लिए बेताब हो रहा था। मैंने भाभी को बातों में लगाकर उनके मम्मों सेखेलते खेलते लंड को धीरे धीरे अंदर करना शुरू किया और इस प्रकार आधा लंड उनकी गदराई हुई गांड में समा गया। अब लंड को अंदर-बाहर करने का काम शुरू हो चुका था जिसमें भाभी को मजा आने लगा था इस बीच पूरा लंड कब भाभी की गांड में चला गया। भाभी को पता ही नहीं चला। २०-२५ मिनट तक चोदने के बाद मैंने अपने लंड का वीर्य उनकी गांड में ही डिस्चार्ज कर दिया और पूछा- जिंदगी में पहली बार गांड मराकर कैसा लग रहा है भाभी?तो अपनी ख़ुशी को ना छुपाते हुए बोलीं- टचवुड ! बहुत मजेदार।मैंने कहा- एक राउंड और हो जाए ?तो बोलीं- आज नहीं !और अपने कपड़े ठीक करते हुए चली गईं। अब मेरा काम बढ़िया हो गया था, कमलिनी और उसकी माँ रागिनी दोनों को चोद कर मैं जवानी का आनंद ले रहा था। किसी रात को दोनों चुदवाने का मन बना बैठीं तो क्या होगा? यह सोचकर मैंने टाइम टेबल बना दिया और उनको भी समझा लिया।अब सोमवार तथा गुरुवार को कमलिनी की चूत, बुधवार को रागिनी की गांड एवं शुक्रवार को रागिनी की चूत चोदने का कार्यक्रम होने लगा। बीच में कभी रेखा घर पर न हो तो दिन में रागिनी या कमलिनी कोई भी जो उपलब्ध हो जाए, चुद जाती थी।बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए….[email protected]
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